अंबेडकरनगर। 07 मई, 2021
आज पूरा प्रदेश व देश जहां वैश्विक महामारी कोरोना के भयंकर चपेट में है। अस्पतालों में आॅक्सीजन व बेड तक उपलब्ध न होने से लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर तमाम दवा व्यवसायीध्विक्रेता आपदा में भी मुनाफाखोरी का अवसर तलाश रहे हैं। एजिथ्रोमाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन, इनवरमैक्टिन जैसे महत्वपूर्ण दवाइयां बाजार से या तो गायब हैं, या कहीं बहुत मुश्किल से मिल भी रही है। तो ज्यादा कीमतें वसूली जा रही हैं। जिसके नतीजतन कोरोना संक्रमण वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रही है और मृत्यु दर ( डेथ रेट ) भी बढ़ रही है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार सीने से लेकर गला तक और फेफड़े में कोरोना जैसे लक्षण मिलने पर एजिथ्रोमाइसिन एंटीबायटिक टेबलेट को रामबाण माना जाता है। त्वचा में या शरीर के अन्य हिस्सों में कोरोना जैसे लक्षणों के संक्रमण होने पर डॉक्सीसाइक्लिन टेबलेट को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और गले में खांसी, जकड़न से लेकर अन्य कष्टों में इनवरमैक्टिन टेबलेट की भी काफी अहमियत है। लेकिन सूरते हाल यह है कि मौजूदा समय में यह सारी दवाइयां बाजार से नदारद हैं। या कड़ी मशक्कत से खोजने पर मिलती भी तो काफी अधिक दामों पर। कोरोनाकाल में अगर यह सभी महत्वपूर्ण दवाइयां बाजारों मंें आसानी से उपलब्ध हो जातीं तो उस स्थिति में कोरोना के चेन को तोड़ने या इसके संक्रमण को और अधिक फैलने से रोकने में काफी मदद निश्चित तौर पर मिल जातीं। परंतु ऐसा नहीं हो पा रहा है। रामबाण वाली इन दवाइयों की कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अहलकारों के पास हाजिर जवाब भी नहीं है। आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि बुखार समेत अन्य रोगों में जरूरी सामान्य दवाएं पैरासिटामाल, निमोस्लाइड विटामिन सी, ओआरएस पैकेट समेत अन्य दवाइयों की की भी जमकर कालाबाजारी हो रही है। कई थोक दवा विक्रेताओं ने का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू के कारण ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के धीमा पड़ने व कुछ दवाइयों की अधिक मांग के चलते इन दवाओं की कीमतों में वृद्धि हुई है।
