लखनऊ। 10 जुलाई, 2021 उत्तर प्रदेश के 12 जनपदों में आगामी 12 जुलाई से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ;आईडीएद्ध कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उदघाटन स्वास्थ्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकारए जय प्रताप सिंह द्वारा जनपद लखीमपुर खीरी से 12 जुलाई को किया जायेगा। जिसमें आईण्डीण्ए जनपदों के स्वास्थ्य अधिकारी और अन्य विभागीय अधिकारी भी वर्चुअल रूप से जुड़ेंगे।
इसी सम्बन्ध मेंए फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु उत्तर प्रदेश में कोविड.19 के दिशा.निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी ;दो गज की दूरीद्धए मास्क और हाथों की साफ़.सफाई का अनुपालन करते हुए समुदाय को फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए शुरू किये जा रहे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ;आईडीएद्ध कार्यक्रम के सम्बन्ध में मीडिया की सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने हेतु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं यथा. बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशनए विश्व स्वास्थ्य संगठनए केयर प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनपाथ सीफार और ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के साथ समन्वय स्थापित करते हुए मीडिया सहयोगियों के साथ मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में प्रदेश के मीडिया सहयोगियों की उपस्थिति के साथ ही उन जनपदों के मीडिया सहयोगियों ने भी वर्चुअल रूप से भाग लिया। जहाँ मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ;आईडीएद्ध कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है।
इस अवसर पर डॉण् विन्दु प्रकाश सिंहए अपर निदेशक तथा राज्य कार्यक्रम अधिकारी , चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार वेक्टर बोर्न डिजीजेज़ जैसे फाइलेरियाए कालाजार रोग आदि के उन्मूलन के लिए अत्यंत संवेदनशील है और इसके लिए रणनीति बनाकर गतिविधियाँ संपादित की जा रही हैं और भारत को वर्ष 2021 तक फाइलेरिया से उन्मूलन की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए कोविड.19 महामारी के दौरान भी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों को जारी रखने के महत्व को स्वीकार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के प्रदेश के 12 जनपदों ;वाराणसी चंदौली मिर्ज़ापुर कानपुर देहात प्रयागराज प्रतापगढ़ कानपुर नगर हरदोई सीतापुर फतेहपुर लखीमपुर खीरी एवं उन्नावद्ध में भारत सरकार के दिशा.निर्देशों के अनुसार कोविड.19 के मानकों को ध्यान में रखते हुए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ;आईण्डीण्एण्द्ध कार्यक्रम आगामी 12 जुलाई से शुरू करने का निर्णय लिया है उन्होंने आगे बताया कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन गतिविधियों का संचालन कोविड.19 के मानकों का पालन करते हुए किया जाएगाए हाथ की स्वच्छता मास्क और शारीरिक दूरी ;दो गज की दूरीद्ध शामिल हैं। उन्होंने सूचित किया कि इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डीण्ईण्सीण् अल्बंडाज़ोल तथा आईवरमेक्टिन की निर्धारित खुराक स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर.घर जाकर अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जायेगा 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है
डॉण् सिंह ने यह भी बताया कि रक्तचाप शुगर अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं
किसी को दवा खाने के बाद उल्टी चक्कर खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि मौजूद हैं जो दवा खाने से नष्ट हो जाते हैं जिसके कारण शरीर में ऐसे लक्षण उत्पन्न होते हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉण् तनुज शर्मा ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ;डब्लूएचओद्ध के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील ;अंडकोष की थैली में सूजनद्ध लिम्फेडेमा ;अंगों की सूजनद्ध व काइलुरिया ;दूधिया सफेद पेशाबद्ध से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। यह एक घातक रोग है हालांकि प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दी गयी दवाएं खाने से इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल भी खिलाई जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है जो सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है। देश के फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं.
1 मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ;आईडीएद्ध . एंटी फाइलेरिया दवा यानि डीण्ईण्सीण् अल्बंडाजोल एवं आईवरमेक्टिन की वर्ष में एक खुराक द्वारा फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में संक्रमण और बीमारी की रोकथाम।
2 मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन ;एमण्एमण्डीण्पीण्द्ध यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम.फाइलेरिया या हाथीपांव से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं इलाज।
उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश में वर्ष 2020. 2021 के आंकड़ों के अनुसार हाइड्रोसील के 28427 मरीज़ और लिम्फेडेमा के 87175 मरीज़ हैं
कार्यशाला के बढ़ते क्रम में बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रतिनिधि डॉण् भूपेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि फ़ाइलेरिया उन्मूलन अभियान में इस बात का विशेष ध्यान देना है कि जो लोग अभियान के दौरान घर पर नहीं हैं और दवा खाने से वंचित हो गए हैं उनमें ऐसी भावना पैदा हो और उन्हें इस तरह जागरूक किया जाये कि वे घर वापस लौटने पर अपने गाँव की आशा के पास जाएँ औए अपने हिस्से की फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं खाएं इस बात को सुनिश्चित किया जाये तो फ़ाइलेरिया उन्मूलन में अपेक्षित सफलता अवश्य मिलेगी
पाथ के प्रतिनिधि डॉण् शोएब अनवर ने बताया कि फ़ाइलेरिया रोधी दवा खाने से फाइलेरिया रोग के बचाव के साथ ही हुकवर्म ;शरीर में खून चूसने वाले कृमियोंद्ध और स्केबी रोग से भी बचाव होता है
प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि ध्रुव सिंह ने बताया कि एमडीए अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधानों के सहयोग से सोशल मोबिलाइजेशन से सम्बंधित गतिविधियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली को और अधिक मज़बूत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में जागरूकता फैलाने के लिए प्रदेश के राशन डीलर्सए किसानों के समूहों व्यापार मंडल गन्ना मिल मालिकों और धार्मिक गुरुओं के माध्यम से समुदाय में जागरूकता फैलाई जा रही है
सीफार की प्रतिनिधि रंजना द्विवेदी ने कहा कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त है क्योंकि समुदाय में प्रचार.प्रसार के माध्यम से जागरूकता अत्यंत शीघ्रता से फैलती है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त 12 जिलों में स्थानीय मीडिया से भी समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है ताकि मीडिया के माध्यम से कार्यक्रम के संबंध में लोगों तक उचित और महत्त्वपूर्ण जानकारियां पहुँच सकेंए इसके साथ ही उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित और ऑफलाइन जुड़े मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि जिलों से फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित मरीजों की मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हुई कहानियां प्रकाशित करें।
मीडिया सहयोगियों से संवाद के दौरान कई प्रश्नों के उत्तर में डॉण् वीण् पीण् सिंह ने कहा कि फ़ाइलेरिया के लक्षण शुरुआत में नहीं नज़र आतें हैं इसीलिए मीडिया द्वारा समाज के हर वर्ग तक इस बीमारी से जुड़े मुख्य सन्देश और महत्वपूर्ण जानकारियां अवश्य पहुंचाएं क्योंकि आपके माध्यम से समुदाय में जानकारियां बहुत आसानी से पहुँच जाती हैं इसीलिए मीडिया द्वारा फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन और इसके सकारात्मक परिणामों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने की बहुत अधिक आवश्यकता है ताकि लोग स्वयं को और अपने परिवार को इस घातक बीमारी से सुरक्षित रख सकें फाइलेरिया का पूर्ण रूप से उन्मूलन हो और आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ भविष्य मिल सके
अंत में ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज अनुज घोष ने ने कहा कि मीडिया की भूमिका सरकार द्वारा चलाये जा रहे समस्त कार्यक्रम के सफल किर्यान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है उन्होंनेए मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे आगामी 12 जुलाई से प्रारंभ होने वाले एमडीए अभियान के दौरान समाचारों और मीडिया कवरेज के माध्यम से लोगों को लिम्फैटिक फाइलेरियासिस ;हांथीपांव हाइड्रोसील आदिद्ध से बचाव के लिए दवा खाने के लिए जागरूक करें