लखनऊ/अंबेडकरनगर 11 दिसंबर, 2022 ( सीए शहजादे इदरीसी )
यूपी के 71 शहरों में जीएसटी की 248 टीमों ने बड़ी छापामारी की है। सूत्रों के अनुसार 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। ’करीब 50 करोड़ कीमत का मैटेरियल अलग-अलग शहरों से जब्त हुआ है। क्योंकि कारोबारी मौके पर दस्तावेज ही नहीं दिखा सके’। जबकि करीब ढाई करोड़ रुपए कारोबारियों से ऑन स्पॉट जमा कराए गए हैं।
अभी ये रेड का सिलसिला 15 दिसंबर तक चलेगा। इस छापेमारी में वित्त विभाग, राजस्व, खुफिया महानिदेशालय के अधिकारी शामिल रहे। बताया जा रहा है कि जीएसटी टीम की यह रेड यूपी की सबसे बड़ी रेड है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन किसे लेना जरूरी है’
जिन लोगों का सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये से अधिक होता है, उनके लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराकर ळैज्प्छ लेना जरूरी होता है. कुछ राज्यों में टर्नओवर की यह सीमा 20 लाख रुपये से अधिक है. इसलिए, अगर आप इस टर्नओवर के दायरे में आते हैं, तो आपको जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराना होगा.।
’जीएसटी रेड के टाइम क्या क्या डॉक्यूमेंट होना चाहिए’।
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पंजीकृत बिजनेस को जीएसटी के रेड के टाइम ये डॉक्यूमेंट होना जरूरी है-
1- बिक्री बिल बुक
2- खरीद बिल
3- जीएसटी रिटर्न की कॉपी
4- जीएसटी प्रमाणपत्र
अपंजीकृत बिजनेस को जीएसटी के रेड के टाइम ये डॉक्यूमेंट होना जरूरी है-
ऽ खरीद बिल और बिजनेस का टोटल टर्नओवर 20 लाख से कम होना चाहिए
छवजम –
ऽ ’जीएसटी रेड टीम कच्चे खरीद की बिल या बिना बिल के माल के मिलने पर चालान काट सकती है’।
यह भी जानें-
जीएसटी डिपार्टमेंट इस बात की तहक़ीक़ात कर रही है कि सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानो के साइनबोर्ड के ऊपर या ऑफ़िस के मुख्यद्वार पर जीएसटी नम्बर लगा हुआ और ठीक से दिख रहा है या नहीं ! कृपया जल्द से जल्द अपने दुकानो के साइनबोर्ड या अपने ऑफ़िस के द्वार पर जीएसटी नम्बर लगा लीजिए ! साइनबोर्ड या ऑफ़िस द्वार पर जीएसटी नम्बर लिखा हुआ नहीं पाए पर ’धारा 125 सीजीएसटी और एसजीएसटी 2017 के अंतर्गत 50000/- तक के दंड का प्रावधान है !’
कारोबारियों ने अगर टैक्स इनवॉयस नही बनवाया है तो बनवा लीजिए और जो भी बिक्री कीजिये उसकी अपने ग्राहकों को टैक्स इनवॉइस दीजिये और अपने काउंटर पर सिर्फ टैक्स इनवॉइस रखिये’ कोई सादा बिल काउन्टर पर न रखिये क्योंकि सादा बिल के अमाउंट पर ळैज् अधिकारी 200ः प्रतिशत एवं पेनाल्टी लगा सकता है। समझदारी इसी में है कि अधिकारी से अपने प्रतिष्ठान पर ही निपटारा करा लीजिए, कार्यवाही को आगे न बढ़ने दें।