अंबेडकरनगर। 26 अगस्त, 2022 नौशाद खां अशरफी/अभिषेक शर्मा राहुल/अकरम वसीम/असलम अब्बास
जिले में स्थित प्रसिद्ध सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त किछौछा दरगाह आज भी हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई समेत विभिन्न धर्मों के लाखों अकीदतमंदों के लिए भक्ति, आस्था व श्रद्धा का ऐसा केंद्र है जहां परेशान लोग आते हैं और दर्शन करने के उपरांत खुशी के आंसू लिए हुए अपने घरों के लिए रवाना होते हैं । इसलिए इस दरगाह को रूहानी इलाज का (आध्यात्मिक) केंद्र कहा जाता है।
बचपन से ही मखदूम साहब फकीरी, साधुत्व व ईश्वर प्रेम में लीन रहा करते थे । उनके पिता का नाम सै. इब्राहिम और माता का नाम खदीजा था। सिर्फ 7 वर्ष की आयु में ही इस सूफी संत ने पवित्र पुस्तक कुरआन की सातों किरत को कंठस्थ कर लिया और 14 वर्ष की उम्र में संपूर्ण शिक्षा प्राप्त कर ली । 15 वर्ष की उम्र में जवानी की दहलीज पर कदम रखा, त्यों ही बादशाह पिता सै. इब्राहिम का स्वर्गवास हो गया । फलस्वरूप हजरत मखदूम को उनका उत्तराधिकारी चुन लिया गया । कुछ वर्ष बाद सिंहासन मिलने के बाद मखदूम अशरफ की दिली मंशा थी कि अपने छोटे भाई सै. मोहम्मद को राजपाट सौंपकर भक्ति के सागर व तपस्या में लीन हो जाएं ।
ऐसी मान्यता है कि एक दिन वह ईरान के सिमनान शहर के एक प्रार्थना स्थल पर इबादत कर रहे थे तभी ईश्वरीय संदेश प्राप्त हुआ कि राज सिंहासन का परित्याग कर ऐ, अशरफ फकीरी की मंजिल पाने के लिए हिंदुस्तान की सरजमीं की ओर रुख कर जाओ । समरकंद, मुल्तान, दिल्ली, बिहार, बंगाल, जौनपुर होते हुए अंत में वह किछौछा पहुंचे । यहां रहकर हजरत भटके हुए बेसहारों, गरीब, मजलूमों के घावों जख्मों पर इंसानियत का मरहम लगाते रहे । अद्भुत दिव्य शक्ति से दूर-दूर के भूत प्रेत, मनोरोग, सफेद दाग, दमा, कोढ़ समेत अन्य रोगों के मरीज उनके आशीर्वाद से स्वास्थ्य लाभ करने लगे । परिणामस्वरूप उस जमाने में उनके नाम का डंका बजने लगा । ऐसे ही परेशान हाल लोगों की सेवा के लिए अपनी हयात में ही किछौछा दरगाह में एक गोल चौकोर तालाब की खुदाई कराकर उसमें सऊदी अरब स्थित मशहूर कुंआ आबे जम-जम से 7 बार जल मंगा कर भरा जिसे आज नीर शरीफ कहा जाता है । यही कारण है कि उनके स्वर्गवास के बाद आज भी किछौछा दरगाह में भारत के कोने-कोने व विश्व के कई देशों के दुखियारो के आने और मुराद पूरी होने पर खुशी के आंसू रोते हुए यहां से विदा होने का सिलसिला बदस्तूर जारी है ।