अंबेडकरनगर। 14 जून, 2022
हिन्दू दलित परिवार में एक व्यक्ति की मौत के बाद आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के नाते तेरहवीं संस्कार का कार्यक्रम आयोजित न करने का निर्णय लिया जा चुका था। लेकिन ऐसे में एक मुस्लिम परिवार के दो सगे भाइयों ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया। इन दोंनों सगे भाइयों के तरफ से आर्थिक मदद देनें के कारण ही हुई तेरहवीं में करीब 500 लोगों को भोजन कराया गया।
जी, हां! हिन्दू-मुस्लिम एकता, सांप्रदायिक सौइार्द व भाईचारे का यह मामला किछौछा नगर के निकट बरौना गांव का है। खास बात यह है कि बरौना गांव निवासी वृद्ध दलित रामदास भगत व मुस्लिम वृद्ध जमा अख्तर के बीच काफी पुरानी दोस्ती व बेहद मजबूत संबंध भी रहा है। करीब 15 वर्ष पहले जमा अख्तर का स्वर्गवास भी हो चुका था। लेकिन जमा अख्तर के स्वर्गवास के बाद उनके दो लड़के क्रमशः जमाल अख्तर व जलाल अख्तर और वृद्ध दलित रामदास के बीच पूर्व की तरह मधुर पारिवारिक संबंध भी जारी रहा। वृद्ध दलित रामदास हार्ट के मरीज भी थे। जमाल अख्तर व जलाल अख्तर ने मिलकर करीब 10 वर्षों तक अपने खर्च पर हार्ट के रोगी वृद्ध दलित का इलाज भी करवाया। लेकिन 31 मई, 2022 को वृद्ध रामदास का स्वर्गवास हो गया।
वृद्ध रामदास की मौत के बाद आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के चलते उनके परिजनों ने तेरहवीं का कार्यक्रम आयोजित न करने का फैसला किया। लेकिन 10 वर्षों तक उनका इलाज कराने वाले दो सगे भाइयों जमाल अख्तर व जलाल अख्तर ने आर्थिक मदद दी। जिसके परिणामस्वरूप इसी 12 जून को दलित रामदास का तेरहवीें कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें करीब 500 लोगों ने भोजन ग्रहण किया। तेरहवीं संस्कार के लिए आर्थिक मदद देने पर क्षेत्र के लोग दो सगे भाइयों जमाल अख्तर व जलाल अख्तर की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे हैं।