अंबेडकरनगर। 05 दिसंबर, 2021
बसखारी ब्लाक के बसहिया, हरैया समेत तीन गावों में नैनो डीएपी का ट्रायल शुरू हुआ। तरल खाद के जरिए बेहतर उपज व आर्थिक बचत के उद्देश्य से इफको ने नया उत्पाद लांच किया है। इन उत्पादों से कृषि में क्रांति के साथ पर्यावरण संरक्षण की तरफ इफको ने कदम बढ़ाया है । तीनो ग्राम में नैनो उर्वरक के लिए खेत चिन्हित कर परीक्षण शुरु कर दिया गया है।
इफको के क्षेत्र प्रबंधक विवेक त्रिवेदी, उनके सहयोगी इफको विक्रय आधिकारी संजय सिंह यादव और अभिषेक नायक समेत तीन सदस्यों की टीम ने परीक्षण के लिए चिन्हित खेतो में इफको के नैनो डीएपी का उपयोग गेहूं की फसल में शुरु करने के साथ ही दवा छिड़काव की विधि भी किसानों को बताया। सामान्य डीएपी के एक बोरे की जगह नैनो डीएपी की आधा खपत ही फसलो के लिए पर्याप्त है। इस खाद से जड़ उपचार व पर्णिव छिड़काव से शत प्रतिशत पौधो द्वारा ग्रहण व उपयोग कर लिया जाता है। इससे मिट्टी मे फास्फेट का स्थिरीकरण कम व सरकार के अनुदान राशि मे बचत व कम खर्च पर अधिक लाभ मिलेगा।
जबकि सामान्यतः डीएपी उर्वरक का फसल में अवशोषण व उपयोग मात्र 30 प्रतिशत ही हो पाता हैं तथा शेष 70 फीसदी अघुलनशील तत्व के रूप में अनुपयोगी हो जाता है जिससे सम्पूर्ण खाद का उपयोग नहीं हो पाता है व मिट्टी में कड़ी सतह बन जाती है। इफको द्वारा नेनो डीएपी के प्रदर्शन में इसके उपयोग के बारे विवेक त्रिवेदी ने बताया कि एक एकड़ फसल में 500 एमएल का उपयोग होता हैं। बीज अथवा जड़ उपचार में 50 लीटर पानी के साथ 250 एमएल नैनो उर्वरक का उपयोग होता है। 250 एमएल उर्वरक का प्रथम छिड़काव रोपाई के 20 से 25 दिन बाद 2 एमएल के साथ एक लीटर पानी की मात्रा की दर से छिड़काव करना चाहिए। एक एकड़ खेत में सामान्यतः एक बोरी डीएपी का उपयोग किसान द्वारा किया जाता है जबकि नैनो प्रक्षेत्र खेत के एक एकड़ मे 25 किलो डीएपी के साथ नैनो का उपयोग होता है। परीक्षण में बचत का आकलन ग्राम बसहिया मे किसान संतोष वर्मा पटेल के खेत में, हरैया व सतनापुर में प्रवीण वर्मा व अंकित मौर्य के एक-एक एकड़ खेत में किया गया। परीक्षण में कृषि विभाग के डॉ बृजेन्द्र कुमार भी उपस्थित रहे।
