अंबेडकरनगर। 26 फरवरी, 2021
उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लाॅन आफ एक्शन 2020-21 के अनुपालन में डाॅ. बब्बू सारंग, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर के निर्देशानुसार दिनांक शुक्रवार को जिला कारागार, अम्बेडकरनगर में मानव तस्करी विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का पालन भी किया गया।
अशोक कुमार प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अम्बेडकरनगर ने शिविर को सम्बोधित करते हुये बताया कि मानव तस्करी की परिभाषा के अनुसार किसी व्यक्ति को डरा कर, बलपूर्वक या दोषपूर्ण तरीके से कोई कार्य करवाना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य मानव तस्करी की श्रेणी में आते हैं। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें लोगों को उनके शोषण के लिये खरीदा एवं बेचा जाता है। वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस घृणित अपराध के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रोत्साहित करने हेतु ‘मानव तस्करी से निपटने के लिये वैश्विक योजना’ को अपनाया था। इस योजना के अनुसार सभी राष्ट्र इस जघन्य अपराध के प्रति जागरुक हो रहें हैं, पीड़ितों की पहचान की जा रही है और अधिक से अधिक तस्करों को सजा दी जा रही है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि महिलायें एवं लड़कियां मानव तस्करी से सर्वाधिक पीड़ित हैं। इनमें से अधिकांश की तस्करी यौन शोषण के लिये किया जाता है। हालांकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-23 (1) और अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत भारत में मानव तस्करी प्रतिबन्धित है तथापि मानव तस्करी की जांच के लिये सरकार अवैध व्यापक विधेयक को पुनः पेश करने की योजना बना रही है। ज्ञातव्य है कि मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण एवं पुनर्वास) विधेयक, 2018 वर्ष 2018 में लोक सभा द्वारा पारित किया गया था। मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जुलाई को मनाया जाता है।
रमाकान्त दोहरे, जेलर, जिला कारागार, अम्बेडकरनगर ने कहा कि वर्ष 2019 की रिपोर्ट में मानव तस्करी की राष्ट्रीय प्रकृति पर प्रकाश डाला गया है। जिसके अनुसार 60 प्रतिशत से अधिक मामलों मंे पीड़ितों को उनके देश की सीमाओं से बाहर ले जाने के बजाय देश के अन्दर ही उनकी तस्करी की जाती है। भारत में सर्वाधित प्रभावित राज्य पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखण्ड व असम है। भारत में तस्करी सम्बन्धित दण्ड संहिता की धार 370 में संशोधन किये जाने की सिफारिश की गयी है।
शिविर का संचालन करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रामचन्द्र वर्मा ने मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण एवं पुनर्वास) विधेयक, 2018 के बारे में बताया कि यह विधेयक सभी प्रकार की मानव तस्करी, उसके निवारण, संरक्षण एवं तस्करी के पीड़ितों के पुनर्वास के लिये कानून बनाता है। जिला, राज्य व राष्ट्र के स्तर पर जांच तथा पुनर्वास समितियों की स्थापना करता है। पीड़ितों को छुड़ाने और मानव तस्करी की जांच के लिये एण्टी-ट्रैफिकिंग युनिट्स की स्थापना करता है। पुनर्वास समितियां छुड़ाये गये पीड़ितों के देख-भाल और पुनर्वास का काम करती है। विधेयक तस्करी से सम्बन्धित अनेक अपराधों के लिये सजा का प्रावधान करता है। अधिकतर मामलों में मौजूदा कानून के अन्तर्गत दी जाने वाली सजा से अधिक सजा निर्धारित की गयी है।
इस शिविर में जन्मेजय ंिसंह, उपकारापाल, देवनाथ यादव, उपकारापाल, इशरतुल्लाह, विकास सिंह भारती तथाजिला कारागार के कर्मचारीगण व अन्य मौजूद रहे।