अंबेडकरनगर। 26 फरवरी, 2021
हजरते अली डे पर विशेष
इस्लाम एकेश्वरवादी धर्म है। इस्लाम शब्द का अर्थ है अल्लाह को समर्पण, इस प्रकार मुसलमान वह है, जिसने अपने आपको अल्लाह को समर्पित कर दिया यानी कि इस्लाम धर्म के सिद्धांतों/नियमों चलने वाला। इस्लाम धर्म का आधारभूत सिद्धांत अल्लाह को सर्वशक्तिमान, एकमात्र ईश्वर और जगत का पालक और आखिरी पैगंबर को उनका संदेशवाहक मानना है। किसी भी व्यक्ति को मुसलमान होने के लिए नबी पर ईमान लाने की नितांत आवश्यकता है।
यह कहना है अंबेडकरनगर मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष व मौलाना सै. वली अशरफ उर्फ अच्छू मियां का। शुक्रवार को हजरते अली डे पर मीडिया से रूबरू होते हुए मौलाना वली अशरफ ने कहा कि इस्लाम धर्म में दहशतगर्दी की कोई जगह नहीं है। किसी पर जोर जबरदस्ती करने की भी इस्लाम इजाजत नहीं देता। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म विश्व बंधुत्व, शांति, इंसानी हमदर्दी, मिल्लत व एकता का संदेश देता है। उन्होंने यह भी कहा सभी को फतवा देने का अधिकार नहीं है। समाज में जिस व्यक्ति की मान्यता है, या वो व्यक्ति जो धर्मगुरू है। तो ऐसेे ही व्यक्ति इसका अधिकार रखते हैं। मौलाना वली अशरफ ने कहा कि इस्लाम धर्म में महिलाओं को काफी महत्व दिया गया है। अरब में कुप्रथा के कारण बच्ची या लड़की पैदा होने पर उसे जिंदा दफना दिया जाता था। लेकिन आखिरी पैगंबर ने इस कुप्रथा को खत्म कराया और महिलाओं को उनका हक दिलाया। आखिरी पैगंबर ने 25 साल की उम्र में खदीजा नाम की विधवा महिला से शादी करके महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए संदेश देने का काम किया। मौलाना वली अशरफ ने हजरते अली के जन्म दिवस पर उनके व्यक्तित्व, त्याग व बलिदान समेत उनके हालाते जिंदगी पर विस्तार से रोशनी डाली।