अंबेडकरनगर। 01 जुलाई, 2022
. तरल खाद से बेहतर उपज व आर्थिक रूप से किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य इफको की ओर से नैनो तकनीक का उपयोग करते हुए नैनो डीएपी तैयार किया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि कृषि के क्षेत्र में इससे क्रांतिकारी परिवर्तन के साथ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। इसी क्रम में नैनो डीएपी का ट्रायल बसखारी ब्लॉक के दो गांव में तीन प्रगतिशील किसानों के एक-एक एकड़ धान की फसल में लगाया गया है। नैनो खाद से पैदावार की उन्नति का आकलन करते हुए किसान को प्रमाण के साथ इसके उपयोग के लिए प्रेरित किया गया।
बसखारी ब्लाक के दो गांव चयनित:
नैनो डीएपी के परीक्षण के लिए बसखारी ब्लॉक के दो गांव सतनापुर और हरैया का चयन किया गया। सतनापुर निवासी हीरालाल वर्मा के खेत में किया गया इफको के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ देवी प्रसाद ने नैनो डीएपी खाद के उपयोग के बारे में बताया। किसानों को प्रशिक्षित करते हुए कहा कि नैनो डीएपी के 5 एमएल एक लीटर घोल से नर्सरी में लगे पौध की जड़ों को शोधित करने के बाद उसका रोपण खेत में कर दिया जाय। एक माह बाद शेष बचे नैनो खाद का छिड़काव पत्तियों पर किए जाएं। इफको बाजार बसखारी के विक्रय अधिकारी संजय सिंह यादव, विक्रय सहायक अभिषेक नायक, अनूप मिश्रा, आदित्य तिवारी, और प्रगतिशील किसान मयंक वर्मा, हरिकेश, संतोष, राधेश्याम, निकिल वर्मा, बबलू व अन्य लोग यहां मौजूद रहे।
नैनो खाद का लाभ: खाद के स्थान पर 500 मिलीलीटर नैनो खाद एक एकड़ फसल के लिए पर्याप्त होगा। नैनो डीएपी से उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। एक बोरी डीएपी खाद का प्रयोग एक एकड़ जमीन में करने पर 30 फीसद उपयोग हो पाता था, शेष 70 फीसदी अवशिष्ट कार्बनिक पदार्थ के रूप में मृदा में पड़ा रहता था। इससे धीरे-धीरे जमीन में एक कड़ी पपड़ी का निर्माण हो जाता है। यह जमीन की उर्वरा शक्ति प्रभावित करता है वही नैनो डीएपी का उपयोग फसल सत प्रतिशत किया जाता है। राजकीय गोदाम प्रभारी दिव्य प्रताप वर्मा ने किसानों को नैनो खाद का उपयोग करने की सलाह दी।