लखनऊ। 04 अप्रैल 2023
टीबी मरीजों की शीघ्र पहचान, गुणवत्तापूर्ण इलाज और योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए हर माह की 15 तारीख को प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों पर एकीकृत निक्षय दिवस मनाया जाता है। दिसम्बर 2022 से शुरू हुई इस पहल के तहत चार आयोजनों के माध्यम से प्रदेश में 3373 टीबी मरीजों की पहचान की गयी। पहले निक्षय दिवस पर 911, दूसरे पर 857, तीसरे पर 844 और चौथे पर 761 टीबी मरीजों की पहचान हुई। इन मरीजों का विवरण निक्षय पोर्टल पर अपडेट कर स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ दिया गया है। इलाज के दौरान हर माह सही पोषण के लिए 500 रुपये भी बैंक खाते में मिलेंगे। सामुदायिक सहभागिता के तहत निक्षय मित्रों से भी जोड़ा जाएगा जो मरीजों को पुष्टाहार प्रदान करने के साथ ही भावनात्मक सहयोग भी देंगे।
राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर का कहना है कि गत 15 दिसम्बर 2022 को पहले निक्षय दिवस पर ओपीडी में आये कुल 2,80,187 मरीजों में से 12 प्रतिशत यानि 32,619 संभावित क्षय रोगी की स्क्रीनिंग हुई। इनमें से 23,096 लोगों के बलगम जांच को भेजे गए जिसमें से 17,322 के बलगम की जाँच हुई। बलगम जाँच में 700 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई जबकि एक्स-रे जाँच में 211 पाजिटिव पाए गए। इसी तरह जनवरी 2023 के दूसरे एकीकृत निक्षय दिवस पर ओपीडी में आये करीब 2.60 लाख मरीजों में से करीब 26 हजार संभावित क्षय रोगी की स्क्रीनिंग हुई। इनमें से करीब 16 हजार लोगों के बलगम जांच को भेजे गए जिसमें से 11,775 के बलगम की जाँच की गयी। बलगम जाँच में 589 लोगों में क्षय रोग की पुष्टि हुई जबकि एक्स-रे जाँच में 268 पाजिटिव पाए गए। फरवरी 2023 के तीसरे एकीकृत निक्षय दिवस पर ओपीडी में आये करीब 2.36 लाख मरीजों में से करीब 23 हजार संभावित क्षय रोगी की स्क्रीनिंग हुई। इनमें से करीब 16 हजार लोगों के बलगम जांच को भेजे गए जिसमें से 12834 के बलगम की जाँच की गयी। बलगम जाँच में 634 लोगों में क्षय रोग की पुष्टि हुई जबकि एक्स-रे जाँच में 210 पाजिटिव पाए गए। इस तरह कुल 844 टीबी मरीज एक दिन में खोजे गए। इसी तरह मार्च 2023 के चौथे निक्षय दिवस पर ओपीडी में आये करीब 2.31 लाख मरीजों में से करीब 20 हजार संभावित क्षय रोगी की स्क्रीनिंग हुई। इनमें से करीब 14 हजार लोगों के बलगम जांच को भेजे गए जिसमें से 11,575 के बलगम की जाँच की गयी। बलगम जाँच में 544 लोगों में क्षय रोग की पुष्टि हुई जबकि एक्स-रे जाँच में 217 पाजिटिव पाए गए। इसके अलावा गत 20 फरवरी से पांच मार्च तक प्रदेश में चलाये गए सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) के दौरान भी आठ हजार से अधिक टीबी मरीज खोजे गए।
डॉ. भटनागर का कहना है कि वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए जरूरी है कि जाँच का दायरा बढ़ाया जाए और जिनमें टीबी की पुष्टि होती है उनका इलाज जल्दी शुरू किया जाए। टीबी के लक्षण वाले लोगों को जाँच के लिए प्रेरित करना हर किसी का कर्तव्य है क्योंकि टीबी महज मरीज और चिकित्सक के बीच का मामला नहीं है बल्कि इसके खात्मे के लिए जनभागीदारी बहुत जरूरी है। इसलिए जिसमें भी टीबी के लक्षण नजर आयें उन्हें जांच के लिए जरूर प्रेरित करें। एकीकृत निक्षय दिवस पर फाइलेरिया, कालाजार और कुष्ठ रोगियों की भी पहचान की जाती है। आगामी कुछ वर्षों में इन चारों बीमारियों के उन्मूलन को देखते हुए हरस्तर पर नई पहल के साथ जनभागीदारी को बढ़ाया जा रहा