अंबेडकरनगर। 05 अगस्त, 2024
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त किछौछा दरगाह में सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ के 638 वें वार्षिक उर्स पर 27 व 28 मोहर्रम को भले ही सज्जादानशीन व मुतवल्ली के तरफ से खिरकापोशी की रस्म को अंजाम दिया गया लेकिन इस दौरान देश भर से आए जायरीनों की भीड़ अनियंत्रित होने के कारण काफी धक्कामुक्की होने से अफरातफरी का माहौल रहा। जिसके नतीजतन जायरीनों में मायूसी देखी गई तो वहीं पुलिसकर्मी भी असहज दिखे।
27 मोहर्रम ( 3 अगस्त ) और उर्स के सबसे खास दिन 28 मोहर्रम ( 4 अगस्त ) की शाम करीब साढ़े पांच से छह बजे के दौरान करीब 900 वर्ष पुराना सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ का खिरका मुबारक ( झुब्बानुमा पोशाक ) पहन कर व हाथ में छड़ी मुबारक लेकर सज्जादानशीन व मुतवल्ली सै. मोहिउद्दीन अशरफ ने खिरकापोशी की रस्म अदा की। लगातार दो दिन खिरकामुबारक को देखने के लिए आस्ताने पर देश भर से जायरीनों की भारी भीड़ जमा रही। जायरीनों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इंतेजामिया कमेटी ने भी पर्याप्त वॉलेंटियर तैनात नहीं किए थे।
खास बात यह है कि उर्स मेला की ड्यूटी में अमेठी, बाराबंकी और सुलतानपुर समेत तीन जनपदों से 25 उपनिरीक्षक, 13 मुख्य आरक्षी, 90 आरक्षी, 4 महिला उप निरीक्षक, 25 महिला आरक्षी, 6 कांस्टेबल टीपी की तैनाती है। सीओ सिटी अकबरपुर के अलावा आलापुर व भीटी समेत तीन सीओ की तैनाती है। सम्मनपुर, जहांगीरगंज, हंसवर, बेवाना, राजेसुल्तानपुर, महरुआ, महिला थाना समेत 7 थानाध्यक्षों की ड्यूटी लगाई गई है। इन थानों से 18 आरक्षी व 4 महिला आरक्षी की तैनाती की गई है। इसके अलाव जनपद के 17 थानों से 6 निरीक्षक और भारी संख्या में उप निरीक्षक, महिला उप निरीक्षक, कांस्टेबल/हेड कांस्टेबल, महिला कांस्टेबल, कांस्टेबल टीपी की ड्यूटी भी लगाई गई है।
किछौछा चुंगी तिराहा, सलामी गेट तिराहा, कर्बला मैदान समेत अन्य क्षेत्रों में यातायात व्ववस्था में लगे पुलिसकर्मियों का योगदान काफी सराहनीय रहा। लेकिन किछौछा दरगाह परिसर में गृह जनपद समेत गैर जनपद से आए पुलिसकर्मियों को सही मार्ग दर्शन न मिलने से खिरकापोशी की रस्म के दौरान जायरीनों की भीड़ बेकाबू हो गई। भीड़ में फंसे पुलिसकर्मी एक ग्लास पानी के लिए भी तरसते रहे। पुलिसकर्मियों के लिए मानवीय संवेदना के आधार पर जलपान की भी व्यवस्था नहीं करायी गयी। धक्कामुक्की का यह आलम था कि कहीं जमीन पर जायरीन गिर कर दब जाते तो कहीं पुलिसकर्मी। बड़ी मुश्किल से इन्हें खींच कर बाहर निकाला जाता।