अंबेडकरनगर। 05 जून, 2025
“ईद” के करीब दो माह बाद त्यौहार “ईदुलअजहा” ( बकरीद ) आता है। इस बार ईदुलअजहा का पर्व सात जून से शुरू हो रहा है। यह मुख्य पर्व सात जून से शुरू होकर तीन दिनों तक अर्थात् 9 जून तक चलेगा। इन तीन दिवसों के दौरान मुस्लिम समाज के लोग जानवरों की कुर्बानी करते हैं। ईदुलअजहा पर्व के मद्देनजर मुस्लिम धर्मगुरुओं, मौलानाओं व ओलमाओं ने जिले भर के मुस्लिम समाज के लोगों के लिए इस पर्व के महत्व को बताते हुए खुशनुमा माहौल में त्यौहार को मनाने के लिए अपना एक पैगाम भी दिया है।
किछौछा दरगाह के सज्जादानशीन व ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल ओलमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सै. मोइनुद्दीन अशरफ उर्फ मोइन मियां ने अपने पैगाम ( संदेश ) में कहा कि कुर्बानी के खून को नाली में नहीं बहाना चाहिए। गड्ढे खोदकर खून समेत मवेशियों के अवशेषों को दफनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कत्तई इस ढंग से कुर्बानी न करें जिससे किसी पड़ोसी को तकलीफ हो। कुर्बानी स्थल पर विशेष साफ-सफाई का ध्यान रखा जाना चाहिए। क्याेंक सफाई को आधा ईमान करार दिया गया है। मोइन मियां ने कुर्बानी के जानवरों के फोटो, वीडियो वगैरह सोशल मीडिया पर न डालने की अपील की है।
पूर्व सज्जादानशीन व ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व उपाधक्ष सै. फखरुद्दीन अशरफ के उत्तराधिकारी सै. मोहामिद अशरफ “शारिक मियां” ने कहा कि अगर हिन्दू बहुल इलाकों में लोग रह रहे हैं तो इस ढंग से कुर्बानी करें कि किसी भी वर्ग विशेष के लोगों की भावनाएं आहत न हों। सभी संप्रदाय के लोगों का ख्याल रखा जाना चाहिए। मांस वगैरह का वितरण बिल्कुल खुले में नहीं करना है। कागज या कपड़ों में लपेट कर ढक कर ही किसी को देना है। समाजसेवी सै. अजीज अशरफ “अजीज मियां” ने कहा कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है। संविधान के अनुसार सभी को बराबरी का हक मिला है। एसे में बकरीद त्यौहार मनाते समय कोई ऐसा कार्य न करें जिससे दूसरे वर्ग के लोग नाराज हों। कुर्बानी करते समय उप्र सरकार की गाइडलाइन व जिला प्रशासन के तरफ से सुझाए गए बिंदुओं पर हर हाल में अमल करें।
