अंबेडकरनगर। 15 मई, 2025
समाज में करुणा, सहयोग और सद्भाव को बढ़ावा देने वाली अंतरराष्ट्रीय पहल आर्ट ऑफ गिविंग के अंतर्गत “नेबरगुडः नेबरहुड में अच्छाई लाना“ विषय पर आधारित एक विशेष निबंध प्रतियोगिता एवं विचार गोष्ठी का आयोजन आर्यकन्या महाविद्यालय, टांडा व बीते दिवस को जिला मुख्यालय स्थित आशीर्वाद हॉस्पिटल पर किया गया।
इस अवसर पर जिले के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं, राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के स्वयंसेवक, एनसीसी कैडेट्स और समाजसेवी बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यक्रम ने युवाओं को अपने आस-पास के पड़ोसियों से जुड़ने, संवाद स्थापित करने और सामाजिक सद्भाव की भावना को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया।
जिला समन्वयक प्रवीण गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष की थीम “नेबरगुड” के अंतर्गत जनजागरूकता कार्यक्रमों की शृंखला जारी है, जिसका उद्देश्य लोगों को अपने आसपास के समुदाय से जोड़कर उनमें परस्पर सहयोग, समझ और अपनत्व की भावना को जाग्रत करना है।
उन्होंने बताया कि आर्ट ऑफ गिविंग केवल एक संस्था नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है, जो बिना किसी स्वार्थ के सेवा, करुणा और मूल्यों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। इस आंदोलन की स्थापना 17 मई 2013 को सुप्रसिद्ध समाजसेवी और शिक्षाविद् डॉ. अच्युत सामंत द्वारा की गई थी।
डॉ. सामंत द्वारा स्थापित कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (ज्ञप्ै) दुनिया का एकमात्र ऐसा शिक्षण संस्थान है, जहाँ करीब 40,000 आदिवासी बच्चों को किंडरगार्टन से लेकर स्नातकोत्तर तक की शिक्षा, आवास, भोजन, स्वास्थ्य सेवाएं और जीवन कौशल प्रशिक्षण पूरी तरह निःशुल्क प्रदान किया जाता है।
कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि समाज में बदलाव लाने के लिए किसी बड़े मंच की नहीं, बल्कि छोटे-छोटे प्रयासों की आवश्यकता होती है। अपने पड़ोस से जुड़कर, एक-दूसरे की मदद करके और संवाद के सेतु बनाकर हम एक बेहतर और अधिक संवेदनशील समाज की नींव रख सकते हैं।
कार्यक्रम का समापन प्रतिभागियों को पुरस्कार और पौधे वितरित कर और ’अच्छे पड़ोसी’ बनने का संकल्प दिलाकर किया गया।
इस अवसर पर डॉ.जेके वर्मा, निरंजन लाल विश्वकर्मा, डॉ0 अरूण आर्य, सत्य प्रकाश आर्य, मनीषा गुप्ता, फरहत, अफ़्सा, अर्शिया आदि उपस्थित रहे।
