नई दिल्ली। 08 अक्तूबर, 2021 ( वित्त मंत्रालय )
आयकर विभाग ने 5 अक्तूबर .2021 को उत्तर-पूर्व क्षेत्र और पश्चिम बंगाल स्थित दो समूहों के मामले में छापेमारी और जब्ती अभियान चलाया। छापेमारी की इस कार्रवाई में कोलकाता, गुवाहाटी, रंगिया, शिलांग और पटना के कुल 15 परिसरों को शामिल किया गया था।
इनमें से एक समूह सीमेंट विनिर्माण के कारोबार से जुड़ा हुआ है। इस छापेमारी के दौरान यह पाया गया कि इस समूह ने बिना अकाउंट-बुक्स में दर्ज बिक्री और फर्जी खर्चें दिखाकर बेहिसाब आय अर्जित की है। इस बेहिसाब आय को शेल कंपनियों (केवल कागजों पर) के जरिए व्यापार में वापस लाया जाता है। छापेमारी के दौरान हासिल सबूतों से पता चला कि समूह ने अपनी प्रमुख कंपनी को समायोजन प्रविष्टियां प्रदान करने के लिए कई कागजी कंपनियां चलाई हैं। इन कागजी कंपनियों को उनके दिए गए पते पर नहीं पाया गया। छापेमारी के दौरान फर्जी असुरक्षित ऋण, भुगतान किया गया फर्जी कमीशन, शेल कंपनियों के माध्यम से प्राप्त फर्जी शेयर प्रीमियम आदि का संकेत देने वाले सबूत भी पाए गए। इन सबूतों से संकेत मिलता है कि 50 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बेहिसाब हो सकती है। इसके अलावा यह समूह गलत तरीके से आदिवासी व्यक्तियों को लेनदारों के रूप में दिखा रहा था, इस तरह की रकम लगभग 38 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा कुछ ऑफशोर संस्थाओं/बैंक खातों के विवरण छारामारी के दौरान पाए गए, जो स्पष्ट रूप से आय के संबंधित रिटर्न में घोषित नहीं किए गए हैं।
वहीं, दूसरा समूह असम, मिजोरम और उत्तर- पूर्व के अन्य हिस्सों में रेलवे के ठेके को क्रियान्वित करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। छापेमारी के दौरान भूमि और संपत्तियों में अघोषित निवेश की ओर इशारा करने वाले अभियोजन योग्य दस्तावेज, खुले पन्ने (लूज शीट) और डिजिटल सबूत जब्त किए गए हैं। बड़ी संख्या में भूमि और संपत्तियों से संबंधित बिक्री के दस्तावेज पाए गए हैं, जिनका मूल्यांकन 110 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। छापेमारी के दौरान इन संपत्तियों के अधिग्रहण के स्रोत की व्याख्या करने के लिए सबूत पेश नहीं किए गए हैं। इसके अलावा, संपत्ति की बिक्री में 13 करोड़ रुपये से अधिक के नकद लेन-देन के विवरण वाले दस्तावेज मिले हैं।
इन छापेमारी और जब्ती कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप 250 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय का पता चला है। 51 लाख रुपये से अधिक की बेहिसाबी नकदी जब्त की गई है। नौ बैंक लॉकरों को निषेध आज्ञा के तहत रखा गया है और उन पर कार्रवाई किया जाना अभी बाकी है।