अंबेडकरनगर। 24 जून, 2024
जिलाधिकारी ने किछौछा नगर पंचायत की विवादित तरीके से करायी गयी टैक्सी स्टैंड की नीलामी/ठेका को निरस्त कर दिया है। अपर जिलाधिकारी ( वित्त एवं राजस्व ) की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने ठेका निरस्त किया है। डीएम ने नियम व शर्तों का अनुपालन करते हुए अल्पकालिक निविदा निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से नीलामी की कार्यवाही निकाय स्तर पर कराने के लिए किछौछा के ईओ को निर्देश दिया है।
13 मार्च 2024 को कलेक्ट्रेट सभागार में निकाय किछौछा की टैक्सी स्टैंड की नीलामी होनी थी। लेकिन कलेक्ट्रेट सभागार में नीलामी नहीं करायी गई बल्कि किसी दूसरे कक्ष में गुपचुप तरीके से नीलामी करा दी गई थी। नीलामी में भाग लेने से वंचित रहे बोलीदाता/ठेकेदार रामप्रताप निवासी जनपद अयोध्या ने जिलाधिकारी समेत उच्चाधिकारियों को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर अनियमितता एवं बिना सार्वजनिक बोली के अवैध तरीके से नीलामी कराने का गंभीर आरोप लगाया था। इस शिकायत के क्रम में जिलाधिकारी ने एडीएम ( वित्त एवं राजस्व ) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन करने का निर्देश दिया था। एडीएम की अध्यक्षता वाली जांच समिति की जांच प्रक्रिया भी जारी थी।
उधर, डीएम/एडीएम ने 24 अप्रैल को टैक्सी स्टैंड की वसूली तत्काल प्रभाव से रोकने का पत्र जारी किया था। इसी क्रम में ईओ मनोज यादव ने 29 अप्रैल को वसूली रोकने का पत्र जारी किया था तथा साथ ही किछौछा नगर पंचायत अपने स्तर से टैक्सी स्टैंड की वसूली करे इसके लिए वरिष्ठ लिपिक अभिषेक यादव को निर्देश भी दिया था। लेकिन विवादित तरीके से टैक्सी स्टैंड का ठेका हासिल करने वाले ठेकेदार चंद्रजीत और उसके गुर्गो के तरफ से किछौछा नगर पंचायत क्षेत्र में बाहर से आने वाले वाहनों से अवैध वसूली का क्रम अब भी जारी है। संबंधित ठेकेदार और उसके लोगों के तरफ से वाहनों से अवैध वसूली जारी रखने पर आए दिन वाहनस्वामियों/चालकों से लड़ाई व झगड़े की बात भी आम हो चली है। अवैध वसूली रोकने के मामले में किछौछा नगर पंचायत प्रशासन एक लंबे समय से मूक दर्शक बना हुआ है।
खास बात यह है कि इसी सात जून, 2024 को जिलाधिकारी ने एडीएम ( वित्त एवं राजस्व ) की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय जांच रिपोर्ट के आधार पर किछौछा नगर पंचायत की टैक्सी स्टैंड का ठेका स्थाई रूप से निरस्त कर दिया है। जिलाधिकारी को दी गई जांच समिति की रिपोर्ट में यह पाया गया कि निविदा की कार्यवाही हेतु कलेक्ट्रेट सभागार की आवश्यकता के संबंध में प्रकरण जिलाधिकारी के संज्ञान में नहीं लाया गया। जिसके लिए तत्कालीन ईओ और चेयरमैन किछौछा उत्तरदायी हैं। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में जिलाधिकारी को अवगत कराया कि तत्कालीन ईओ किछौछा के बयान और तत्कालीन स्थानीय निकाय सहायक/लिपिक के लिखित अभिकथन में विरोधाभाष है। जांच रिपोर्ट में सबसे हैरतअंगेज तथ्य यह है कि नीलामी प्रक्रिया की कार्यवाही मात्र दो मिनट में ही निपटा दी गई। वर्तमान ईओ किछौछा मनोज यादव ने जिलाधिकारी के तरफ से टैक्सी स्टैंड की नीलामी निरस्त करने की पुष्टि की है।