लखनऊ, 11 नवम्बर 2022
पिछले करीब 25 सालों से मुझे पैरों में सूजन हैद्य कभी कभी तेज बुख़ार आता है, सूजन बढ़ भी जाती है, बहुत झाड़ फूंक कराया, तेल मालिश सब करके देखा, लेकिन आराम जैसा आराम नहीं मिलाद्य गाँव के बाकि लोगों को देखकर डर लगता है कि कहीं किसी दिन हमारा हाल भी ऐसा न हो जाये। मुझे पता चला कि आज गाँव में कुछ लोगों को बहुत आराम हुआ तो हम भी यही जानने के लिये बैठक में आये हैं। यह कहना है बक्शी का तालाब ब्लॉक के मदारीपुर गाँव की रानी का।
रानी ने अपनी आप बीती मदारीपुर गाँव में राष्ट्रीय फाईलेरिया दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में बतायीद्य श्री गुरुकृपा फाईलेरिया उन्मूलन समिति के सदस्यों के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सभी ने अपने अनुभवों को साझा किया, और आने वाले समय में होने वाले सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान में सभी को दवा खाने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया।
समिति के अध्यक्ष जमुना प्रसाद जी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह भी पिछले 40 वर्षों से इस रोग के साथ जी रहे है।
उन्होंने बताया कि उन्हें अंडकोष में फाईलेरिया थाद्य ऑपरेशन के बाद स्थिति में सुधार है, लेकिन वह बीता समय कभी नहीं भूल सकते, जब इस रोग के कारण 3-4 दिन तेज बुखार और दर्द में पड़े रहते थे, एक तरह से उन्होंने अपनी पूरी जवानी इस रोग का दर्द झेलने में गुजर दीद्य इस समिति के माध्यम से सभी को यह सन्देश देना चाहते है कि एमडीए राउंड में आशा और आँगनवाड़ी के द्वारा खिलाई जाने वाली फाईलेरिया से बचाव की दवा सभी को जरूर खानी चाहिए।
फाईलेरिया से पीड़ित रानी ने पहली बार इस समिति की बैठक में प्रतिभाग किया है, समिति ककी सदस्य मनोरमा के द्वारा उन्हें बताया गया, कि वह झाड़ फूंक के चक्कर में न रहे, स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर इसकी दवाई ले, और नियमित रूप से व्यायाम करे और प्रभावित अंग की सफ़ाई रखे।
मनोरमा बताती हैं कि अक्सर लोग फाईलेरिया के इलाज में घरेलु नुक्से अपनाते है या भ्रांतियों में ही फसकर रह जाते है, जबकि समय से इसके इलाज और निर्धारित पैमानों पर देख रेख की जाये तो फाईलेरिया से पीड़ित मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। लापरवाही बरतने पर स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है।
सेंटर फॉर एडवोकेसी से जनपद के समन्वयक सर्वेश पाण्डेय ने बताया कि गाँव में फाइलेरिया रोगियों का नेटवर्क बनाया गया है, जिससे जुड़ने के बाद सभी मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बक्शी का तालाब में पंजीकरण कराकर चिकित्सक के माध्यम से दवा दिलाई जाती है। मरीजों को रुग्णता प्रबंधन और दिव्यांगता निवारण (एमएमडीपी) का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे कि वह सही तरीके से व्यायाम और प्रभावित अंगों की साफ सफ़ाई रखकर रोग को बढ़ने से रोक सके।
कार्यक्रम में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च से राज्य स्तरीय समन्वयक सोनम राठौर, ब्लॉक समन्वयक अखिलेश, समिति के सदस्य कन्हई, रामधार, विद्यावती, रामकली, राजकुमारी, संजू देवी, गुड्डी देवी, रामरती, सावित्री देवी आदि मौजूद रहे।