अंबेडकरनगर। 15 सितंबर, 2025
इसे कुदरत का करिश्मा कहें या संयोग या फिर चमत्कार।
जी, हां!
जिले के कस्बा नेवारी जहांगीरगंज निवासी मलिक कमाल ने सिर्फ 12 साल की उम्र में पवित्र पुस्तक “कुरआन” को कंठस्थ कर हाफिज-ए कुरआन-बनने में कामयाबी हासिल की है। मलिक कमाल के इस छोटी सी उम्र में हाफिज-ए-कुरआन बनने पर हाफिज मलिक कमाल के साथ-साथ उनके वालिद ( पिता ) कमाल अहमद एवं वाल्दह ( मां ) तथा नौनिहाल मलिक कमाल को गांव समेत इलाकाई लोगों ने मुबारकबाद पेश करते हुए खुशी का इजहार किया है।
मलिक कमाल की शुरुआती पढ़ाई मदरसा बरकतुल उलूम नेवारी बाजार जहांगीरगंज में उस्ताद ( गुरु ) हाफिज अजमल साबरी की देखरेख में शुरुआती हिफ्ज दौर मुकम्मल हुआ। उसी मदरसे के हाफिज व कारी नासरुद्दीन की देखरेख में मलिक कमाल का हिफ्ज मुकम्मल/पूरा हुआ।
सिर्फ 12 साल की कम उम्र में हाफिज की पढ़ाई पूरी करने पर बिलग्राम शरीफ के सज्जादानशीन सैयद अवैस मुस्तफा के द्वारा उर्से मेमारे मिल्लत में पगड़ी बांध कर गर्मजोशी से इस्तकबाल किया गया।
उर्से मेमारे मिल्लत में कैंसर रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. मामून खान ऐसोसिएट प्रोफेसर बी.आर. डी.मेडिकल कॉलेज गोरखपुर ने कैंसर के शुरुआती लक्षण के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में इलाज करने से कैंसर रोगी पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है। कैंसर बचाव मुहिम में जुड़ने और लोगों को जागरुक करने की अपील की।
इस मौके पर मेमारे मिल्लत इंतजामिया कमेटी की ओर से डॉ. मामून खान को चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने एवं सिर्फ 12 साल की उम्र में हाफिजा मुकम्मल करने पर हाफिज मलिक कमाल को कमेटी के द्वारा मेमारे मिल्लत सम्मान से नवाजा गया।











































