अंबेडकरनगर। 25 अप्रैल, 2025
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त किछौछा दरगाह में सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ का 639 वां दो दिवसीय सालाना गुस्ल मुबारक शुक्रवार भोर में संपन्न हो गया। इस मौके पर देश में खुशहाली, विश्व शांति के लिए दुआएं मांगी गई। कार्यक्रम का समापन होते ही देश के विभिन्न प्रांतो-शहरों से आए हुए जायरीनों/श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों को लौटाना शुरू कर दिया है।
किछौछा दरगाह के आस्ताने पर गुस्ल मुबारक के मद्देनजर विशेष जलसा गुरुवार रात 9 बजे से शुरू हुआ। जलसे को विभिन्न मौलानाओं, ओलमाओं समेत वक्ताओं ने संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने अपने संबोधन में सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ की मानवता व इंसानियत हमदर्दी को समर्पित उनके जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। नातखांओं व शायरों ने नबी की शान में नातिया कलाम और वली की शान में कसीदे पढ़े। गुरुवार रात करीब 1.30 बजे जलसे का समापन हुआ। जलसे के अंत में सज्जादानशीन सै. मोहिउद्दीन अशरफ को मौजूदगी में जानशीन सै. मोहामिद अशरफ उर्फ शारिक मियां ने खास दुआएं मांगी। भोर में करीब 3 बजे सूफी संत मखदूम अशरफ के समाधि स्थल को केवड़ा व गुलाब जल गुस्ल कराया गया। इंतजामिया कमेटी व पीरजादगान इंतेजामिया कमेटी के तरफ से जायरीनों गुस्ल मुबारक का जल प्रसाद के तौर पर बांटा गया। शुक्रवार की साप्ताहिक विशेष नमाज दरगाह की सभी मस्जिदों में अदा की गई। साप्ताहिक जुमे की नमाज के बाद संदलपोशी और गुलपोशी की रस्म को अंजाम दिया गया। गुस्ल मुबारक के विविध कार्यक्रमों में सै. मेराज अशरफ एडवोकेट, बदीउद्दीन अशरफ, सै. खलिक अशरफ, अकील अशरफ, नसीम अशरफ समेत अन्य लोग मुख्य रूप से मौजूद रहे।
गुस्ल मुबारक पर बहुत कम आए जायरीन
इस वर्ष के गुस्ल मुबारक के मेले में देश भर से आने वाले जायरीनों की बहुत कम भीड़ देखी गई। जिसके कारण यहां एक उदासी देखी गई। पीरजादा खलीक अशरफ का कहना है कि गुस्ल मुबारक की तारीख तय करने से पहले सलाह-मशवरा करना चाहिए। लेकिन मनमाने ढंग से भीषण गर्मी में गुस्ल मुबारक रख दिया गया। जो काफी चिंंता का विषय है। उन्होंने कहा कि दरगाह का कई मुख्य मेला धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। आने वाले सभी मेलों के दृष्टिगत व्यापक स्तर पर चर्चा के साथ ही तैयारी भी होनी चाहिए।
