अंबेडकरनगर। 13 जनवरी, 2025
बसखारी कस्बे में सब्जी मंडी के पास इंकलाबी शायर कुमैल अहमद सिद्दीकी के आवास परिसर में शहंशाहे तरन्नुम हकीम इरफान आजमी की कयादत में बज़्में सुखन के तत्वाधान में एक अदबी शेरी नशिस्त ( महफ़िल-ए-मुशायरा ) का आयोजन हुआ। जिसकी सदारत ( अध्यक्षता ) खानवाद-ए-अशरफिया के सदस्य सै. .अजीज अशरफ व निजामत ( संचालन )कुमैल अहमद व सितारे उर्दू अवार्ड से सम्मानित मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कॉलेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत इकरामुल हक भूलेपुरी की नाते पाक से हुई। कार्यक्रम के आरंभ में कुमैल अहमद सिद्दीकी ने मुख्य अतिथि ब्लाक प्रमुख संजय सिंह व सै.अजीज अशरफ को गुलदस्ता देकर एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया। संजय सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए कहा कि अदबी नशिस्तों से राष्ट्रीय एकता को बल मिलता है और भाईचारे को बढ़ावा मिलता है। उ.प्र. सरकार उर्दू के विकास के लिए कार्य कर रही है। सै.अजीज अशरफ ने कहा कि नई नस्ल के युवा शायरों ने सामाजिक बुराइयों पर बेहतरीन शायरी की है। उर्दू को बढ़ावा देने के मकसद से ही ऐसे प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं। कुमैल अहमद सिद्दीकी ने कहा कि नशिस्त से आपसी रिश्तों की डोर मजबूत होती है। शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने कहा कि उर्दू जुबान की मिठास ने हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब में मिठास घोल रखी है। डॉ.दस्तगीर अंसारी टांडवी ने कहा कि उर्दू ने हमेशा अमन और शांति का पैगाम दिया है। हकीम इरफान आजमी ने मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। नशिस्त में कुमैल सिद्दीकी ने शेर पढ़ा कि “ ऐ बाग़ बाने हिंद उसूलों की बात कर, मुरझा रहे हैं फ़ूल तू फूलों की बात कर ”।
इंसाफ टांडवी ने अशआर पढ़ा कि “ सुन ऐ परी जमाल तुझे देखने के बाद, शरमा गया हेलाल तुझे देखने के बाद ”। शायर सईद टांडवी ने शेर पढ़ा कि जो मुझको देखनी होती है बागे जन्नत तो, मैं अपनी माँ को मुहब्बत से देख लेता हूँ। अफ़रोज़ रोशन किछौछवी ने कलाम पेश किया कि क्या था मेरा कुसूर बता मुझको ज़िंदगी, वो कौन सा है दर्द जो तूने नही दिया। डॉ.दस्तगीर टांडवी ने पढ़ा कि मैने हक़ बात बोल दी जबसे, वह कभी मेरे घर नही आता। शहंशाह-ए-तरन्नुम हकीम इरफान आजमी व हास्य व्यंग के शायर इंसाफ टांडवी ने खूब वाहवाहियां लूटीं। इसके अलावा कवयित्री शारदा देवी, कमर जिलानी टांडवी, फना टांडवी, ज़िया कामली टांडवी, अव्वल भूलेपुरी, राशिद अनवर राशिद, किस्मत सिकंदरपुरी, हकीम असलम फैजी, इकरामुल हक भूलेपुरी, आफताब अहमद, दिल सिकंदरपुरी, इरशाद अहमद, असलम सिकंदरपुरी, रुमी भूलेपुरी व अन्य शायरों, नातखांओं एवं गजलकारों ने अपने कलाम पेश किए। इस मौके पर मौलाना सै. इरफान किछौछवी, हकीम हसन वारसी, शीतल सोनी व अन्य लोग मौजूद रहे।