लखनऊ, 06 फरवरी । कोविड काल में नवजात की सही देखभाल केवल माँ ही नहीं बल्कि पूरे परिवार की सामूहिक जिम्मेदारी है । ऐसे में यदि माँ कोविड संक्रमित है तो उस स्थिति में भी नवजात व छह माह से कम उम्र के शिशु को डिब्बे का दूध या जानवर का दूध देने की भूल कतई न करें । यह भूल बच्चे को कुपोषण की जद में धकेल सकती है क्योंकि नवजात के लिए माँ के दूध के अतिरिक्त अन्य दूध को पचाना कठिन होता है। यह कहना है संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजी पीजीआई) की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य का ।
डॉ. पियाली का कहना है कि कोविड काल में जानकारी के अभाव में माताएं बच्चे को अपना दूध पिलाने में हिचक सकती हैं, खासकर वह महिलाएं जो पहली बार माँ बनी हैं । ऐसे में उनका सहयोग व समर्थन करते हुए स्तनपान में सहयोग करें ताकि वह डिब्बाबंद दूध या जानवर का दूध बच्चे को देने की भूल न करें। जन्म के तुरंत बाद या एक घंटे के भीतर माँ स्तनपान जरूर कराए क्योंकि इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारियों से उसकी रक्षा होती है । दूसरी ओर नवजात को डिब्बाबंद दूध या जानवर का दूध देने से दस्त की संभावना बढ़ जाती है और इससे बच्चे का वजन भी गिर सकता है । ऐसे में जो नवजात पहले से ही कमजोर हैं, उनके कुपोषित व बीमार होने की भी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए यदि किसी कारणवश माँ स्तनपान कराने में सहज नहीं महसूस कर रही है तो माँ का दूध साफ कटोरी में सफाई से निकालकर चम्मच से पिलाएं । ध्यान रहे बच्चे को दूध पिलाने के लिए बोतल का इस्तेमाल कदापि न करें क्योंकि यह हानिकारक होता है । डिब्बे वाला दूध देने से बच्चे के बीमारियों की जद में आने की भी संभावना बढ़ जाती है । इसका प्रमुख कारण साफ-सफाई का न होना, साफ पानी की कमी, डिब्बे के दूध की अधिक कीमत और उसका पौष्टिक न होना ।
डॉ. पियाली का कहना है कि इस वक्त एक सवाल यह भी उठ रहा है कि- क्या कोविड का टीका लगवाने वाली माँ स्तनपान करा सकती हैं तो उनसे यही कहना चाहूँगी कि इस बात की संभावना न के बराबर है कि कोविड टीकाकरण का महिलाओं के दूध पैदा करने की क्षमता पर कोई प्रभाव पड़ता है । महिलाओं को टीका लगवाने के बाद भी स्तनपान जारी रखना चाहिए और आश्वस्त रहना चाहिए कि टीकाकरण उनके दूध की आपूर्ति को प्रभावित नहीं करेगा । इसके अलावा यदि माँ कोविड टीकाकरण कराती है तो उसके शरीर में बनने वाली एंटीबाडी उसके दूध से बच्चे तक पहुंचकर उसे सुरक्षा देती है । स्तनपान शिशुओं और माताओं के स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है । कोविड संक्रमित माँ भी हाथों और स्तन की अच्छे से सफाई कर और मास्क लगाकर बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं । डॉ. पियाली का कहना है कि बच्चे का वजन भी समय-समय पर लेते रहना चाहिए ताकि पता चल सके कि ग्रोथ चार्ट ऊपर की तरफ जा रहा है या नीचे की तरफ आ रहा है ।
छह माह के पूरे होने पर शुरू करें ऊपरी आहार :
छह माह के बाद बच्चे के समुचित विकास के लिए स्तनपान के साथ ऊपरी आहार देना शुरू करें
दिन में तीन से चार बार खिलाएं
बच्चे की बढ़ती आयु के अनुसार खुराक की मात्रा बढ़ाएं
खाने में विविधता लाने के लिए अनाज के अतिरिक्त भोजन में दाल, दूध से बने पदार्थ, हरी साग-सब्जियां और मौसमी फल शामिल करें
ऊपरी आहार देने का सही तरीका :
अलग कटोरी-चम्मच का उपयोग करें ताकि बच्चा कितना खा रहा है यह पता चल सके
उम्र के अनुसार बच्चे को खाना दें, जबरदस्ती न खिलाएं बल्कि गुनगुनाते हुए खिलाएं
भोजन में घी/तेल डालकर उसका घनत्व बढ़ाया जा सकता है
एक बार में एक ही तरह का भोजन दें, भोजन का प्रकार व मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाएं
बच्चों के भूख लगने के इशारों को समझें, जैसे- बार-बार हाथों को मुंह में डालना, साड़ी का पल्लू खींचना, खाने की तरफ लपकना, रोना आदि ।