अंबेडकरनगर। 03 दिसंबर, 2025
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में बुधवार को किछौछा नगर पंचायत चेयरमैन के अलग-अलग मामलों को लेकर कहीं खुशी कहीं गम जैसा नजारा देखने को मिला। हाईकोर्ट ने अंबेडकरनगर जिले के न्यायालय एडीजे प्रथम ( त्वरित ) के ओर से अध्यक्ष पद के चुनाव निरस्त करने के मामले में चेयरमैन के तरफ से दाखिल रिट को स्वीकार करते ही जहां अध्यक्ष पद पुनः बहाल हो गया। वहीं दूसरे ओर हाईकोर्ट ने पूर्व में दाखिल वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार सीज मामले में डीएम के फैसले पर जो रोक लगाया था। उस रोक को अब हटा लिया। इस प्रकार पुनः चेयरमैन के अधिकार पूर्व की तरह सीज रहेंगे।
हालांकि इस मामले में हाईकोर्ट में अगली तारिख पेशी पांच दिसंबर है। 15 नवंबर को जनपद न्यायालय के अपर जिला जज प्रथम ( फास्ट ट्रैक ) परविंदर कुमार ने किछौछा नगर पंचायत के भाजपा की ओर से विजयी चेयरमैन ओमकार गुप्ता के अध्यक्ष पद के निर्वाचन को निरस्त कर दिया था। अदालत ने यह फैसला चेयरमैन पद के निर्वाचन में चौथे स्थान पर रहे निर्दल प्रत्याशी गुरु प्रसाद की चुनाव याचिका पर दिया था। एडीजे प्रथम ( एफटीसी ) कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ निष्कासित चैयरमैन ओंकार गुप्त हाईकोर्ट की शरण में गए। उनके तरफ से दाखिल रिट को बुधवार यदि हाईकोर्ट से खारिज कर दिया जाता तो उस स्थिति में उनका चेयरमैन पद हमेशा के लिए चला जाता। लेकिन कोर्ट के तरफ से इस रिट को स्वीकार करते ही ओंकार गुप्त की चेयरमैनी बहाल हो गई।
दूसरी ओर दिलचस्प बात यह है विगत 29 सितंबर को जारी शासनादेश के आलोक में की गई वित्तीय अनियमितता की शिकायत और जांच रिपोर्ट के उपरांत जिलाधिकारी ने 3 अक्टूबर को चेयरमैन के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों को सीज कर दिया था। इस मामले में चेयरमैन ने 17 अक्टूबर को उच्च न्यायालय से अंतरिम स्टे आदेश प्राप्त कर लिया था। लेकिन बुधवार को लखनऊ खंडपीठ ने नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा के चेयरमैन के अधिकारों को लेकर पूर्व में जारी अंतरिम स्टे आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद एक बार फिर किछौछा नगर पंचायत चेयरमैन ओंकार गुप्त के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज रहेंगे।
कोर्ट के आदेशों के बाद भी प्रशासक रहेंगे तैनात
दो मामले में हाईकोर्ट के तरफ से दिए गए आदेश के बाद चेयरमैन ओंकार गुप्त और उनके समर्थकों में उतार और चढ़ाव का माहौल देखा जा रहा है। यही हाल विपक्षी खेमे में भी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद चेयरमैन समर्थक और विपक्षी लोग अपने-अपने स्तर से हार और जीत के दावे करते हुए देखे जा रहे हैं। चेयरमैन पद बहाल लेकिन अधिकार सीज रहने से जिला प्रशासन के तरफ से किछौछा नगर पंचायत के लिए तैनात प्रशासक की भूमिका अभी काफी अहम है।








































