अंबेडकरनगर। 15 अप्रैल, 2024
नौशाद खां अशरफी/अभिषेक शर्मा राहुल
किछौछा नगर पंचायत के पूर्व अधिशासी अधिकारी आलोक कुमार सिंह अब इस दुनिया मे नही रहे। उन्होंने रविवार आजमगढ़ के बुढ़नपुर स्थित पैतृक आवास पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वे करीब 45 वर्ष के थे। सोमवार शाम को कम्हरिया घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
पूर्व ईओ आलोक कुमार सिंह किछौछा नगर पंचायत मे करीब 9 वर्षो तक रहे। यहॉ से उनका स्थानांतरण महाराजगंज के लिए हो गया था।बाद में वहां से गाजीपुर नगर पालिका परिषद में उनका स्थानांतरण हो गया। बताया जाता है कि गाजीपुर नगर पालिका में उन्होंने अपनी ड््यूटी ज्वाइन कर ली थी। बाद में वहां से अवकाश पर चले जाने के कारण बुढ़नपुर स्थित अपने घर आ गए थे। पूर्व ईओ श्री सिंह ने अपने मकान परिसर में स्थित बैठका ( बैठक स्थल ) के बीम में फांसी लगा ली। जिससे उनकी मौत हो गयी। बताया यह भी जाता है कि करीब 8 माह पूर्व उनकी पत्नी का लखनऊ के मेदांता अस्पताल में ट््यूमर का ऑपरेशन हुआ था। हांलाकि बाद में उनकी मौत हो गयी थी। एक तरफ पत्नी की मौत के कारण जहां वह सदमें में चल रहे थे। वहीं, दूसरी ओर घर में पारिवारिक सम्पत्ति में हुए विवाद के कारण वो काफी तनाव में चल रहे थे। सोमवार शाम करीब 4ः30 बजे बुढ़नपुर से उनका शव कम्हरिया घाट ले जाया गया। वहीं पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम संस्कार में ईओ मनोज कुमार सिंह, पूर्व चेयरमैन दुर्गावती यादव, सै. फैजान अहमद चांद, सै. खलीक अशरफ, फहद अशरफ, राम आधार यादव समेत किछौछा नगर पंचायत के अन्य लोग शामिल रहे।
ईओ ने ही किछौछा दरगाह को सार्वजनिक संपत्ति घोषित किया था
अंबेडकरनगर।
भले ही किछौछा के पूर्व ईओ आलोक कुमार सिंह ने पारीवारिक कारणों से फांसी लगा कर अपनी जान दे दी है लेकिन निकाय कार्यालयों में अपनी साहसिक फैसलों/निर्णयों के लिए उनकी काफी शोहरत व एक अलग पहचान थी। वे आफिस कार्यों में कोई दबाव अपने ऊपर नहीं लेते थे।
ईओ रहते हुए ही आलोक कुमार सिंह ने सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ की अंतर्राष्ट्रीय दरगाह को अपने एक आदेश से सार्वजनिक संपत्ति घोषित किया था। इस आदेश के बाद किछौछा में कुछ हद तक विवाद भी शुरू हुआ लेकिन वे नहीं झुके। बाद में मामला शांत हो गया। अंडमान निकोबार के बाद किछौछा के लोगों की विशिष्ट पहचान के लिए आलोक कुमार सिंह ने किछौछा नगर पंचायत के सभी लोगों के लिए एक यूनिक नंबर वाला कोड भी जारी किया था। विश्व के किसी भी स्थान से इन यूनिक कोड नंबर से ऑनलाइन सत्यापन की व्यवस्था भी की गई थी। इसके कारण पूर्व ईओ की राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान भी बनी।