अंबेडकरनगर। 30 जुलाई, 2023
किछौछा दरगाह में स्थानीय कर्बला मैदान में 9 मोहर्रम ( शुक्रवार ) को एक जायरीन लड़की के साथ यौन उत्पीड़न करने का एक मामला प्रकाश में आया है। पीड़ित लड़की की तहरीर पर शनिवार को बसखारी पुलिस ने एक नामजद व दो अज्ञात समेत तीन आरोपियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न व जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज किया है।
बताया जाता है कि प्रदेश के मऊ जनपद की जायरीन लड़की ( उम्र 18 वर्ष से अधिक ) किछौछा दरगाह में अपने परिजनों के साथ मनौती के तौर पर रूहानी इलाज के लिए आयी हुई थी। यह लड़की स्थानीय कर्बला मैदान में अपने परिजनों के साथ गई हुई थी। स्थानीय कर्बला मैदान में जायरीन आस्था के तौर पर हाजिरी के लिए वहां जाया करते हैं। पानी का प्यास महसूस होने पर जायरीन लड़की पानी लेने के लिए कर्बला मैदान में एक बाग में हैंड पंप के पास गई हुई थी। दर्ज एफआईआर के मुताबिक इस दौरान मुहं दबाकर लड़की के साथ गलत काम किया गया। आरोपी लड़कों ने जाने से पहले लड़की को धमकी दी कि यदि यह बात किसी को बताया तो जान से मारी जाएगी। घटनास्थल से लड़की वापस अपने परिजनों के पास आ गई। परिजनों ने आसपास के दुकानों में जाकर आरोपी लड़कों के बारे में पूछताछ करके जानकारी हासिल की। थाना प्रभारी निरीक्षक जय प्रकाश सिंह ने बताया कि यौन उत्पीड़न का शिकार हुई लड़की का मेडिकल कराया जाएगा। उच्चाधिकारियों के संज्ञान में यह मामला है। कुछ युवकों को हिरासत में लिया गया है और कड़ी पूछताछ की जा रही है। आठ दिनों तक चलने वाले मोहर्रम के जुलूस का शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न होने के बावजूद इस अप्रत्याशित घटना के कारण काफी किरकिरी हो रही है।
पीड़ित महिलाओं/लड़कियों के ऊपर केस सुलह करने का काफी रहता है दबाव
खास बात यह है कि परदेश से आने वाली जायरीन महिलाएं/लड़कियां यहां अक्सर उत्पीड़न का शिकार हो जाती हैं। ज्यादातर मामलों में नामजद आरोपी/अभियुक्त स्थानीय लड़के ही होते हैं। आरोपी/अभियुक्तगण स्थानीय होने के चलते परदेश की जो महिलाएं/लड़किया उत्पीड़न का शिकार हो जाती हैं। उन्हें सही तरह से न्याय नहीं मिल पाता। क्यांंकि परदेश की पीड़ित महिलाओं/लड़कियों के ऊपर आरोपी पक्ष कई तरह से दबाव बनाता है। चूंकि मरीज होने के नाते दरगाह में जायरीनों के आने की एक मजबूरी भी है। ऐसे में आरोपी पक्ष जायरीनों के गेस्ट हाउस व आवागमन वाले रास्तांं पर घेर कर पीड़ितों के ऊपर मुकदमा को सुलह और रफा-दफा करने का दबाव बनाता है। यह परंपरा आम हो गई है। पूर्व में बसखारी थाने में यौन उत्पीड़न, बदसलूकी, छेड़खानी से लेकर तमाम मुकदमे तो दर्ज हुए लेकिन दबाव पड़ने पर पीड़ित कोर्ट जाने तक की हिम्मत जुटा नहीं पातीं।