अंबेडकरनगर। 26 फरवरी, 2023
वरिष्ठ पत्रकार व अधिवक्ता जावेद सिद्दीकी/नौशाद खां अशरफी
गनपत सहाय पीजी कॉलेज सुलतानपुर की उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जेबा महमूद ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में उर्दू के किरदार को भूला नहीं जा सकता है। इंकलाब जिंदाबाद का नारा रहा हो या सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है, जोर कितना बाजुए कातिल में है जैसे अश्आर ( पंक्तियों ) को पढ़ कर उन्होंने समां बांधा।
अंबेडकरनगर। 26 फरवरी, 2023
गनपत सहाय पीजी कॉलेज सुलतानपुर की उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जेबा महमूद ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में उर्दू के किरदार को भूला नहीं जा सकता है। इंकलाब जिंदाबाद का नारा रहा हो या सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है, जोर कितना बाजुए कातिल में है जैसे अश्आर ( पंक्तियों ) को पढ़ कर उन्होंने समां बांधा।
अंबेडकरनगर जिले के बुनकर बहुल क्षेत्र में स्थित टीएन डिग्री कॉलेज के सभाकक्ष में रविवार को हिंदी उर्दू अदबी दर्शन उत्तर प्रदेश एवं टीएनपीजी कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित जंगे आजादी में उर्दू का किरदार विषय पर सेमिनार को वे संबोधित कर रही थीं। कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में उर्दू के कलाम व अल्फाज ने लोगों में वह जज्बात पैदा किया जिससे लोग अंग्रेजों से मोर्चा लेने के लिए डटे रहे।
उन्होंने याद दिलाया कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इंकलाबी शायरी में भारतीय नागरिकों को अंग्रेजो के खिलाफ जागरूक करने का काम किया, उर्दू से जुड़े लेखक शायरों ने पूरे तन मन से स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दिया।
उर्दू राब्ता कमेटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ फैजाबादी ने कहा कि हर दौर में उर्दू ने मुल्क को बचाने का काम किया है। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन जाने जहां हमारा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उर्दू शायरों ने कहा कि कुछ आरजू नहीं है बस आरजू तो यह है रख दे कोई जरा सी खाके वतन कफन पे।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय लखनऊ के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शफीक अशरफी ने कहा कि उर्दू ही ऐसी जुबान है जिससे स्वतंत्रता आंदोलन में इंकलाब पैदा हुआ, अंग्रेजो के खिलाफ मुहिम चलाने में उर्दू जबान कारगर साबित हुई । राजकीय मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ जहीर अहमद ने इस अवसर पर कहा कि उर्दू पत्रकारिता ने गुलामी के खिलाफ लड़ने में चार चांद लगा दिया था। अंग्रेजो के खिलाफ पत्रकारिता करना जोखिम भरा काम था। डॉक्टर ऊर्फी की अध्यक्षता और वरिष्ठ शिक्षक मोहम्मद असलम खान के संचालन में हुए सेमिनार में मुख्य रूप से टीएनपीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ रमेश चंद्र पाठक, रिटायर्ड डिप्टी कमिश्नर सैयद मोहम्मद अहमद व अन्य ने भी अपने विचार रखे।
सेमिनार में इन हस्तियों को किया गया सम्मानित :
हिंदी उर्दू अदबी दर्शन उत्तर प्रदेश व टीएनपीजी कॉलेज टांडा की संयुक्त पहल पर जंगे-ए-आजादी में उर्दू का किरदार विषय पर आयोजित सेमिनार के दौरान उर्दू विद्वानों व अन्य हस्तियों को सम्मानित भी किया गया।
उर्दू राब्ता कमेटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ उर्फी फैजाबादी को मोहसिन उर्दू , ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय लखनऊ के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो. शफीक अशरफी को इम्तियाज ए उर्दू , प्रोफेशर जेबा महमूद को मौलाना अबुल कलाम आजाद, बीबीडी पीजी कॉलेज के उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ मोहम्मद नसीम खान को निशाने उर्दू , डॉक्टर जहीर अहमद को एपीजे अब्दुल कलाम, रिटायर्ड कमिश्नर फूड को अशफाक उल्ला खान, टीएनपीजी कॉलेज टांडा के प्रोफेसर डॉक्टर रमेश चंद्र पाठक को स्वामी विवेकानंद, प्रमुख समाज सेवी धर्मवीर सिंह बग्गा को सरदार भगत सिंह ,एसबी नेशनल इंटर कॉलेज के प्रबंधक सैयद फैजान अहमद उर्फ़ चांद मियां को मौलाना अली जौहर, टीएनपीजी कालेज की प्रबंधक शिप्रा टंडन को मदर टेरेसा, टांडा उप जिलाधिकारी को रविंद्र नाथ टैगोर के सम्मान से नवाजा गया । सेमिनार में उर्दू, हिंदी के रचनाकार डॉक्टर मोहम्मद असद को फिराक गोरखपुरी, खालिद आजम को मजरूह सुल्तानपुरी , अजय प्रताप श्रीवास्तव को मुंशी प्रेमचंद शाहिद जमाल फैजाबादी कैफी आज़मी तनवीर जलालपुरी को मौलाना हुसैन अहमद मदनी सम्मान से नवाजा गया।