लखनऊ, 31 जुलाई – 2021 । कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ने की चर्चा के बीच यह भी जानना जरूरी है कि जो माताएं बच्चे को सही समय पर और सही तरीके से भरपूर स्तनपान कराती हैं, उन्हें बच्चे को लेकर बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं होती है । मां के दूध की अहमियत सर्वविदित है, यह बच्चे को रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करने के साथ ही उसे आयुष्मान भी बनाता है । कोरोना ही नहीं बल्कि कई अन्य संक्रामक बीमारियों से मां का दूध बच्चे को पूरी तरह से महफूज बनाता है । इसलिए स्तनपान के फायदे को जानना हर महिला के लिए बहुत ही जरूरी है । इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है । स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए ही इस साल इस सप्ताह की थीम-‘स्तनपान सुरक्षा की जिम्मेदारी, साझा जिम्मेदारी’ तय की गयी है ।
संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य का कहना है कि शिशु के लिए स्तनपान अमृत के समान होता है । यह शिशु का मौलिक अधिकार भी है । माँ का दूध शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी है । यह शिशु को निमोनिया, डायरिया और कुपोषण के जोखिम से भी बचाता है । इसलिए बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला पीला गाढा दूध अवश्य पिलाना चाहिए । यह दूध बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है, इसीलिए इसे बच्चे का पहला टीका भी कहा जाता है । स्तनपान करने वाले शिशु को ऊपर से कोई भी पेय पदार्थ या आहार नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा रहता है । मां के दूध में शिशु के लिए पौष्टिक तत्वों के साथ पर्याप्त पानी भी होता है । इसलिए छह माह तक शिशु को माँ के दूध के अलावा कुछ भी न दें । यहाँ तक कि गर्मियों में पानी भी न पिलायें । ध्यान रहे कि रात में माँ का दूध अधिक बनता है, इसलिए मां रात में अधिक से अधिक स्तनपान कराये । दूध का बहाव अधिक रखने के लिए जरूरी है कि माँ चिंता और तनाव से मुक्त रहे । कामकाजी महिलाएं अपने स्तन से दूध निकालकर रखें । यह सामान्य तापमान पर आठ घंटे तक पीने योग्य रहता है । इसे शिशु को कटोरी या कप से पिलायें । स्तनपान शिशु को बीमारियों से बचाता है, इसीलिए यदि मां या शिशु बीमार हों तब भी स्तनपान कराएँ ।
डॉ. पियाली का कहना है कि कोविड उपचाराधीन और संभावित माँ को भी सारे प्रोटोकाल का पालन करते हुए स्तनपान कराना जरूरी है । वह स्तनपान से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लें और नाक व मुंह को मास्क से अच्छी तरह से ढककर ही दूध पिलायें । बच्चे को ऐसे में स्तनपान से वंचित करने से उसका पूरा जीवन चक्र प्रभावित हो सकता है ।
यह भी जानना जरूरी रू
यदि केवल स्तनपान कर रहा शिशु 24 घंटे में छह से आठ बार पेशाब करता है, स्तनपान के बाद कम से कम दो घंटे की नींद ले रहा है और उसका वजन हर माह करीब 500 ग्राम बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि शिशु को मां का पूरा दूध मिल रहा है ।
स्तनपान के फायदे दृ शिशु के लिए
सर्वोत्तम पोषक तत्व
सर्वोच्च मानसिक विकास में सहायक
संक्रमण से सुरक्षा (दस्त-निमोनिया)
दमा एवं एलर्जी से सुरक्षा
शिशु के ठंडा होने से बचाव
प्रौढ़ एवं वृद्ध होने पर उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से सुरक्षा ।
मां के लिए स्तनपान के फायदे रू
जन्म के पश्चात बच्चेदानी के जल्दी सिकुड़ना व रक्तस्राव एवं एनीमिया से बचाव
कारगर गर्भनिरोधक
मोटापा कम करने और शरीर को सुडौल बनाने में सहायक
स्तन एवं अंडाशय के कैंसर से बचाव
सुविधाजनक
कृत्रिम आहार एवं बोतल से दूध पिलाने के खतरे रू
पोषक तत्वों का अभाव
सुपाच्य नहीं
कुपोषण एवं संक्रमण के खतरे
दस्त, सांस के और अन्य संक्रमण
बौद्धिक विकास में कमी की सम्भावना
बचपन में मृत्यु की संभावना
क्या कहते हैं आंकड़े
जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान कराने से नवजात मृत्यु दर में 33 फीसद तक कमी लायी जा सकती है । इसके अलावा छ्ह माह तक शिशु को स्तनपान कराने से दस्त रोग और निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 फीसद और 15 फीसद कमी लायी जा सकती है। । नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) के अनुसार प्रदेश में एक घंटे के अंदर स्तनपान की दर 25.2 फीसद और छह माह तक केवल स्तनपान की दर 41.6 फीसद है ।











































