अंबेडकरनगर। 01 सितंबर, 2024
गोल्डन एरा बसखारी के तत्वावधान में ’एक शाम हेलाल राना किछौछवी के नाम’ शनिवार रात में ग्राम डोड़ो के एक मैरेज हाल में मुशायरे का आयोजन हुआ। मो. इब्राहिम खान की अध्यक्षता व सितारे उर्दू अवार्ड से सम्मानित शिक्षक मो. असलम खान के संचालन में यह मुशायरा आयोजित हुआ।
कार्यक्रम के संयोजक कुमैल अहमद सिद्दीकी ने चिकित्सक डॉ. हिमायतुल्लाह खान, पूर्व जिपं सदस्य जाकिर हुसैन, प्रसिद्ध संस्था कलम कबीला के संस्थापक अजीम अंसारी, अध्यक्ष सद्दाम हुसैन व मुख्य अतिथि चिकित्सक डा. शोएब अख्तर को शाल ओढ़ा कर सम्मानित किया।
कभी शायरी में सिमटी मोहब्बत बिखरी तो कभी वतन के लिए लहू बहाने की बातें हुईं। किसी ने नेताओं पर तंज कसा तो किसी ने इंसानियत का पैगाम दिया। देर रात तक शायरी की खुश्बू से माहौल महकता रहा और लबों को छूकर सीधे रूह तक लफ़्ज़ उतरते गए। कार्यक्रम का शुभारंभ हलचल टांडवी के नाते पाक से हुआ।
मुशायरे में शायर कुमैल अहमद सिद्दीकी ने अशआर पेश किया कि “हसीन इतने मुहम्मद हैं के जवाब नहीं, किसी चमन में कोई दूसरा गुलाब नहीं”। शायर नफीस किछौछवी ने पढ़ा कि सर तो बच जाता है कदमों पे झुकाने से नफीस, मसअला ये है कि दस्तार उतर जाती है। अफरोज़ रौशन किछौछवी ने शेर पढ़ा कि कहा हज़ारों दाग हैं दामन पे जिसके, वही मेरी शिकायत कर रहा है। हास्य व्यंग्य के शायर हलचल टांडवी ने कहा छुप छुप बात करती थी फैशन के दौर में, जब सामना हुआ तो वो बुढ़िया निकल गई। इंसाफ टांडवी ने कहा अगर गुरुर है तुझको सोनार होने का, तो आज जान ले बेशक लोहार मैं भी हूँ। अहमद सईद टाण्डवी ने कहा बज़ाहिर देखने मे वह बड़ा मासूम लगता है, मगर जब बोलता है मुंह से चिंगारी निकलती है। साबिर जलालपुरी, अकरम भूलेपुरी, हकीम इरफान आजमी ने खास अंदाज से शायरी पेश करके खूब वाहवाहियां लूटीं। शायरा सुम्मुन टांडवी, शगुफ्ता अंजुम व अन्य शायरों ने अपने कलाम पेश किए। मुशायरे में प्रबंधक जुहेब खान, सभासद दस्तगीर अहमद, हारिस खान, जावेद सिद्दीकी अन्ना समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।